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डेयरी उद्यमिता विकास योजना(Nabard scheme):सरकार देगी डेयरी बिजनेस के लिए 700000 रुपये, जानिए कैसे ले इसका लाभ।

डेयरी उद्यमिता विकास योजना

डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) पशुपालन और डेयरी व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। योजना का मुख्य उद्देश्य डेयरी उद्योग का विकास करके ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाना, दूध उत्पादकों की आर्थिक स्थिति में सुधार करना और भारत में डेयरी उत्पादों और डेयरी प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देना है।

डेयरी उद्यमिता विकास योजना का उद्देश्य:

1. दूध उत्पादन में वृद्धि: इस योजना के माध्यम से दूध के उत्पादन और उपलब्धता को बढ़ाकर देश में डेयरी उद्योग की जरूरतों को पूरा करना।

2. रोजगार सृजन: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगार युवाओं को डेयरी व्यवसाय में अवसर देकर उनके लिए आजीविका का सृजन करना।

3. गुणवत्ता में सुधार: आधुनिक प्रौद्योगिकी और प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करके डेयरी उत्पादों और उनकी प्रक्रियाओं की गुणवत्ता में सुधार करना।

4. उद्योग का विकास: डेयरी क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विस्तार और विकास को बढ़ावा देना।

डेयरी उद्यमिता विकास

डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत प्रदान की गई सहायता:

1. पूंजीगत सब्सिडी: योजना के तहत लाभार्थियों को डेयरी व्यवसाय के प्रकार के आधार पर पूंजीगत सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी आम तौर पर परियोजना लागत का 25% से 33.33% तक होती है।

2. परियोजना लागत: यह योजना गाय और भैंस पालन, दूध संग्रह केंद्रों, दूध प्रसंस्करण इकाइयों, बायोगैस संयंत्र, दूध परिवहन वाहनों के लिए परियोजना लागत निर्धारित करती है।

3. ऋण सुविधा: इस योजना के लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों, सहकारी बैंकों, ग्रामीण बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण प्रदान किया जाता है।

लाभार्थियों की पात्रता:

1. व्यक्ति: 18 वर्ष से ऊपर के सभी व्यक्ति इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदक का 10वीं पास होना जरूरी है.

2. स्वैच्छिक संगठन और कृषि समितियाँ: किसान समूह, कृषि समितियाँ, सहकारी समितियाँ भी इस योजना के लाभ के लिए पात्र हैं।

3. महिला एवं अनुसूचित जाति-जनजाति लाभार्थी: इस योजना में महिला लाभार्थियों एवं अनुसूचित जाति-जनजाति व्यक्तियों को विशेष प्राथमिकता दी जाती है।

डेयरी उद्यमिता विकास  योजना के घटक:

1. डेयरी की स्थापना: डेयरी किसानों को 2 से 10 गाय और भैंस रखकर डेयरी शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

2. दूध प्रसंस्करण इकाइयाँ: दूध और दूध उत्पादों में मूल्य जोड़कर प्रसंस्करण के लिए प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता।

3. दूध परिवहन सुविधा: दूध संग्रहण केंद्र से प्रसंस्करण इकाई तक दूध पहुंचाने के लिए विशेष वाहनों पर सब्सिडी दी जाती है।

4. कृषि-अपशिष्ट आधारित बायोगैस संयंत्र: कृषि और डेयरी कचरे का उपयोग करके बायोगैस और जैविक उर्वरक उत्पादन के लिए संयंत्र स्थापित करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है।

डेयरी उद्यमिता विकास योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया:

1. आवेदन का तरीका: आवेदकों को इस योजना के लिए अपने निकटतम पशुपालन और डेयरी विकास कार्यालय या संबंधित बैंक में आवेदन करना होगा।

2. परियोजना रिपोर्ट: आवेदन करते समय एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जमा करनी होगी जिसमें परियोजना, लागत और भविष्य की आय के सभी विवरण शामिल हों।

3. बैंक लेनदेन: बैंक आवेदन का सत्यापन करता है और ऋण स्वीकृत करता है और परियोजना के लिए अनुदान प्रदान करता है।

डेयरी उद्यमिता विकास योजना के लाभ:

1. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विकास: डेयरी किसानों और उद्यमियों को वित्तीय सहायता से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विकास होता है।

2. महिला सशक्तिकरण: यह योजना ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान करती है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करती है।

3. सामाजिक विकास: डेयरी से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, जिससे समुदाय में आर्थिक विकास और स्थिरता आती है।

4. आत्मनिर्भरता: छोटे किसानों और उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाने से उन्हें डेयरी व्यवसाय में अपनी पहचान बनाने का मौका मिलता है।

चुनौतियाँ:

1. तकनीकी ज्ञान की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में कई लाभार्थियों को आधुनिक तकनीक और डेयरी प्रबंधन की जानकारी नहीं है जो परियोजना की सफलता में बाधा डालती है।

2. बाज़ारों की उपलब्धता: डेयरी उत्पादों के लिए उपयुक्त बाज़ारों तक पहुंच एक बड़ी बाधा है।

3. वित्तीय कठिनाइयाँ: बैंक ऋण स्वीकृतियों में देरी और ऋण चुकाने की क्षमता की कमी लाभार्थियों के लिए कठिनाइयाँ पैदा करती है।

भारत में डेयरी उद्योग और ग्रामीण रोजगार सृजन के लिए डेयरी उद्यमिता विकास योजना बहुत महत्वपूर्ण है। इस योजना के माध्यम से लाभार्थियों को पूंजी उपलब्ध कराकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाता है। तकनीक के उचित उपयोग और प्रशासन के सहयोग से इस योजना का पूरा लाभ उठाना संभव है। 

इस योजना का अंतिम उद्देश्य डेयरी व्यवसाय में उद्यमिता को बढ़ाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में प्रगति लाना है। डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) पशुपालन और डेयरी व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। योजना का मुख्य उद्देश्य डेयरी उद्योग का विकास करके ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाना, दूध उत्पादकों की आर्थिक स्थिति में सुधार करना और भारत में डेयरी उत्पादों और डेयरी प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देना है।

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